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छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के अंजनी गांव के दो ग्रामीणों ने 60 फीसदी कम ईंधन से चलने वाला चुल्हा बनाया है। विज्ञान की तकनीक पर आधारित यह बाल्टी चूल्हा लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना है। ईंधन की लगातार बढ़ती कीमतों को देखते हुए यह देसी आविष्कार लोगों के लिए उपयोगी साबित हो सकता है। रायपुर में भौतिकशास्त्र के प्रोफेसर विनय गुप्ता ने बताया कि इसमें ईंधन की खपत काफी कम है।
इस खास चुल्हे को कांकेर जिले के ग्राम अंजनी के पुरुषोत्तम सलाम व श्रवण वट्टी ने बनाया है। बाल्टी में फिटिंग मिट्टी का बने चूल्हे को बिजली, सेल या बैटरी से चलाया जा सकता है। बाल्टी चूल्हा में डीवीडी मोटर, छोटा सा पंखा टिफिन बॉक्स लगता है। बाल्टी चूल्हा में लकड़ी डाले जाने पर इसमें लगे पंखे के माध्यम से लकड़ी में आग की लपटे तेज गति से बढ़ती है।
एक माह से दोनों यह बाल्टी चूल्हा बना रहे है और अब तक 100 नग बाल्टी चूल्हा तैयार कर चुके हैं। अंजनी के साथ आसपास के गांवों में अच्छा प्रतिसाद मिलने पर दोनों युवक इसे शहर में बेचने पहुंचे।
अब दोनों रायपुर जाकर बाल्टी चूल्हे का प्रदर्शन करना चाहते हैं। पुरुषोत्तम और श्रवण एकता महिला स्वसहायता समूह के माध्यम से बाल्टी चूल्हा बना रहे हैं। इसमें 10 महिलाएं है। 10वीं तक पढ़े पुरुषोत्तम सलाम व श्रवण वट्टी ने कहा बाल्टी चूल्हा से भोजन बनाने में सामान्य चूल्हे के मुकाबले 60 प्रतिशत इंधन की बचत होती है।
सामान्य चूल्हे की तरह इसे फूंकने की आवश्यकता नहीं होती। इसमें 6 से 7 लोगों का भोजन आराम से बनकर तैयार हो जाता है और भोजन के साथ सब्जी व चाय भी बना सकते हैं।
दोनों युवक दोस्त हैं तथा उनका कहना है गांव में ईंधन की काफी समस्या है तथा दिन प्रतिदिन रसोई गैस की कीमतें भी बढ़ती जा रही है। इसी परेशानी को देखते उनके मन में इस तरह का चूल्हा तैयार करने का विचार आया। बाजार में फिलहाल वे इसे सात सौ रुपए प्रति नग की दर पर बेच रहे हैं। बहरहाल, अब यह चूल्हा प्रदेश और देश भर के बाजारों में जल्द ही दिखने लगेगा।
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